पुरी के श्रीमंदिर से जुड़ी 10 रोचक बातें जो हर भारतीय को जाननी चाहिए!
श्रीमंदिर की ध्वजा हवा के विपरीत लहराना या बिना परफ के पकने वाला प्रसाद जैसी बातें इसे अनोखा बनाती हैं जानिए ऐसी ही 10 रहस्यमयी बातें जो हर भारतीय को गर्व महसूस कराएंगी

भारत की धरती पर कई पवित्र तीर्थ हैं, लेकिन पुरी का श्रीजगन्नाथ मंदिर एक विशेष स्थान रखता है। यह न केवल धार्मिक भावना से जुड़ा है, बल्कि इसके रहस्य और परंपराएं हर किसी को चकित कर देती हैं। ओडिशा के पुरी नगर में स्थित यह मंदिर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी को समर्पित है।हर वर्ष होने वाली रथ यात्रा में लाखों श्रद्धालु जुड़ते हैं, लेकिन इस मंदिर की दीवारों के भीतर छुपे हैं ऐसे कई अद्भुत रहस्य, जिनका न कोई वैज्ञानिक उत्तर है, न ही कोई तर्क।
आइए आज हम जानते हैं पुरी के श्रीमंदिर से जुड़ी 10 ऐसी बातें, जो हर भारतीय को न सिर्फ जाननी चाहिए, बल्कि उन्हें गर्व भी होना चाहिए कि वे ऐसे चमत्कारिक स्थान के देशवासी हैं।
1. मंदिर का ध्वज हमेशा हवा के विपरीत दिशा में लहराता है – प्रकृति भी करती है नमन
आपने देखा होगा कि झंडा हवा की दिशा में उड़ता है, लेकिन पुरी श्रीमंदिर का ध्वज हमेशा हवा के खिलाफ लहराता है।
वैज्ञानिक आज तक इसका जवाब नहीं दे पाए। श्रद्धालु मानते हैं कि यह भगवान जगन्नाथ की शक्ति का संकेत है।
2. मंदिर की परछाईं नहीं पड़ती – दिन में भी दिखता है अंधकार का चमत्कार
इतना विशाल मंदिर होने के बावजूद किसी भी समय इसकी छाया जमीन पर नहीं दिखती।
धूप हो या शाम – यह बात आज भी रहस्य है। कई लोग कहते हैं, यह वास्तु का कमाल है, लेकिन भक्त इसे ईश्वर की लीला मानते हैं।
3. सुदर्शन चक्र हर दिशा से सीधा दिखता है – ब्रह्मज्ञान का संकेत
मंदिर की चोटी पर लगा सुदर्शन चक्र चाहे आप जहाँ से भी देखें, वो आपको सीधा ही दिखेगा।
यह चक्र 20 फीट का है और 7 टन भारी है। इसे सिर्फ एक पत्थर पर बैठाया गया है।
4. रसोई में 56 भोग बनते हैं, लेकिन न अधिक न कम – अद्भुत गणित
मंदिर में हर दिन करीब 56 प्रकार का भोग बनता है और वह कभी भी कम या ज़्यादा नहीं होता।
चाहे 10 लोग हों या 10 लाख – सभी को पर्याप्त प्रसाद मिलता है। इसे ‘महाप्रसाद’ कहा जाता है।
5. पक्षी और विमान मंदिर के ऊपर से नहीं जाते – आकाश भी करता है नमन
मंदिर के ऊपर से कभी कोई पक्षी या हवाई जहाज नहीं उड़ता।
पुरी में यह क्षेत्र नो फ्लाई ज़ोन है, लेकिन पक्षियों का दूर से ही लौट आना भक्तों को चमत्कार लगता है।
6. रथ यात्रा में लकड़ी का एक ही टुकड़ा दोबारा इस्तेमाल नहीं होता – परंपरा की गहराई
हर साल रथ यात्रा में भगवान के रथ के लिए नई लकड़ियाँ लगती हैं।
पुरानी लकड़ियाँ समुद्र में विसर्जित कर दी जाती हैं – यह त्याग और पुनर्निर्माण की अद्भुत परंपरा है।
7. प्रसाद बनाने के बर्तन ऊपर-नीचे होते हैं, फिर भी ऊपर वाला पहले पकता है – उल्टी रसोई की लीला
मंदिर में खाना 7 बर्तनों को एक-दूसरे के ऊपर रखकर पकाया जाता है, लेकिन चमत्कार ये है कि सबसे ऊपर वाला बर्तन सबसे पहले पक जाता है।
8. समुद्र की लहरों की आवाज मंदिर के अंदर नहीं आती – मौन में भी दिखे भगवान
मंदिर से सटे समुद्र की तेज़ लहरें बाहर साफ़ सुनाई देती हैं, लेकिन मंदिर में प्रवेश करते ही एक अद्भुत मौन महसूस होता है।
9. संवत्सर में एक दिन मूर्तियां बदलती हैं – लेकिन प्रक्रिया रहस्य बनी रहती है
हर 12 से 19 साल में एक बार ‘नवकलेवर’ होता है, जिसमें भगवान की मूर्तियों को विशेष रात को बदला जाता है।
कोई नहीं जानता कैसे, क्योंकि वह कार्य पूर्ण गोपनीय होता है।
10. मंदिर में किसी मशीन का प्रयोग नहीं – सब कुछ मानव हाथों से होता है
चाहे झंडा चढ़ाना हो, रसोई बनानी हो या पूजा – श्रीमंदिर में कोई आधुनिक मशीन नहीं लगाई जाती।
यह श्रद्धा, परंपरा और मानव श्रम का अद्भुत उदाहरण है ।
Note: हम आपके लिए हर जानकारी पूरी सटीकता और भरोसे के साथ खोजकर लाते हैं, ताकि आपको सही और उपयोगी जानकारी मिले। फिर भी सलाह दी जाती है कि किसी भी आधिकारिक निर्णय से पहले संबंधित संस्थान या वेबसाइट पर नवीनतम अपडेट ज़रूर देखें। आपका विश्वास ही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है, इसलिए किसी भी अफवाह या धूरी जानकारी पर ध्यान न दें।