SSC अलर्ट: अंडमान से लद्दाख तक क्यों दे रहे उम्मीदवार यूपी-बिहार में SSC परीक्षा?

SSC भर्ती परीक्षा में अंडमान, लद्दाख जैसे दूर राज्यों के अभ्यर्थियों के यूपी-बिहार में परीक्षा देने पर आयोग ने अलर्ट जारी किया है। आधार प्रमाणीकरण और तकनीकी निगरानी से अब ऐसी प्रवृत्तियों पर खास ध्यान दिया जा रहा है ताकि परीक्षा प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष बनी रहे।

SSC अलर्ट: अंडमान से लद्दाख तक क्यों दे रहे उम्मीदवार यूपी-बिहार में SSC परीक्षा?

क्या आपने कभी सोचा है कि अंडमान, लद्दाख या गोवा जैसे दूरदराज़ इलाकों से छात्र आखिर क्यों उत्तर प्रदेश और बिहार में आकर SSC की परीक्षा देते हैं? हाल ही में हुई SSC CGL 2024 और सेलेक्शन पोस्ट फेज XIII परीक्षा में ऐसा ही कुछ देखने को मिला। हजारों उम्मीदवार अपने राज्य छोड़कर सैकड़ों किलोमीटर दूर परीक्षा देने पहुंचे। अब कर्मचारी चयन आयोग (SSC) ने ऐसे उम्मीदवारों को लेकर विशेष सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है। आयोग ने केंद्र व्यवस्थापकों को निर्देश दिए हैं कि इन बाहरी अभ्यर्थियों पर खास निगरानी रखी जाए ताकि कोई अनुचित लाभ न उठाया जा सके। चलिए जानते हैं — आखिर ये उम्मीदवार इतनी दूर क्यों जा रहे हैं, क्या है SSC की चिंता और आगे क्या कदम उठाए जा सकते हैं।

दूरदराज़ राज्यों से यूपी-बिहार में परीक्षा देने की अनोखी तस्वीर

SSC की हालिया भर्ती परीक्षाओं में अंडमान और निकोबार, लद्दाख, गोवा, तमिलनाडु, मेघालय, असम जैसे राज्यों के छात्र बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश और बिहार के परीक्षा केंद्रों पर पहुंचे। यह नज़ारा चौंकाने वाला है क्योंकि सामान्यतः उम्मीदवार अपने राज्य में परीक्षा केंद्र चुनते हैं। उदाहरण के तौर पर, CGL परीक्षा में अकेले झारखंड से करीब 6,896, दिल्ली से 2,902 और पश्चिम बंगाल से 2,036 उम्मीदवार आए। यहां तक कि अंडमान-निकोबार से 6 और लद्दाख से भी कई छात्र शामिल हुए। यह स्थिति बताती है कि देश के उत्तर क्षेत्र में परीक्षा केंद्रों की अधिक उपलब्धता और अपेक्षाकृत कम प्रतियोगिता स्तर के कारण उम्मीदवार लंबी दूरी तय करने से भी पीछे नहीं हट रहे।

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SSC ने क्यों किया ‘अलर्ट’ जारी, क्या है आयोग की चिंता

कर्मचारी चयन आयोग (SSC) के मध्य क्षेत्र के निदेशक डॉ. आशीष कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि ऐसे अभ्यर्थी जो अपने राज्य से बाहर परीक्षा देने आ रहे हैं, उन पर विशेष नजर रखी जा रही है। इसका उद्देश्य किसी भी तरह की गड़बड़ी या ‘प्रॉक्सी एग्ज़ामिनेशन’ को रोकना है। आधार प्रमाणीकरण प्रणाली लागू होने के बाद से आयोग ने सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त किया है। केंद्र पर्यवेक्षकों और परीक्षकों को हिदायत दी गई है कि बाहरी राज्यों के उम्मीदवारों के दस्तावेज़ों और बायोमेट्रिक सत्यापन की विशेष जांच की जाए। आयोग की यह सतर्कता इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि हर साल SSC परीक्षाओं में लाखों उम्मीदवार शामिल होते हैं और किसी भी स्तर की लापरवाही बड़े विवाद का कारण बन सकती है।

इतनी दूर से परीक्षा देने की मजबूरी या रणनीति?

कई उम्मीदवारों का कहना है कि उनके राज्य में परीक्षा केंद्र जल्दी भर जाते हैं या स्लॉट सीमित होते हैं। ऐसे में वे यूपी या बिहार जैसे राज्यों को चुन लेते हैं जहां केंद्र अधिक और उपलब्धता बेहतर होती है। कुछ उम्मीदवार यह भी मानते हैं कि यहाँ की परीक्षा व्यवस्था पारदर्शी है और परीक्षा की तिथि जल्दी मिल जाती है। दूसरी ओर, कुछ मामलों में यह भी देखा गया है कि उम्मीदवार जानबूझकर अन्य राज्यों को चुनते हैं ताकि परीक्षा केंद्र की निगरानी प्रणाली से बचा जा सके। आयोग अब इस पूरे पैटर्न पर गहराई से विश्लेषण कर रहा है ताकि परीक्षा प्रक्रिया को और निष्पक्ष बनाया जा सके।

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आधार प्रमाणीकरण और तकनीकी सुरक्षा से बढ़ी पारदर्शिता

SSC ने पिछले कुछ वर्षों में परीक्षा प्रणाली को पूरी तरह डिजिटल बनाया है। अब अधिकांश परीक्षाएं कंप्यूटर आधारित टेस्ट (CBT) के रूप में होती हैं और उम्मीदवारों का बायोमेट्रिक सत्यापन, फोटो मिलान और आधार प्रमाणीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। इससे फर्जी उम्मीदवारों के प्रवेश पर काफी हद तक रोक लगी है। इस नई व्यवस्था के बाद आयोग को यह भी आसानी हुई है कि वह बाहरी उम्मीदवारों की पहचान और उनकी गतिविधियों पर तुरंत निगरानी रख सके। यह कदम निष्पक्ष भर्ती प्रक्रिया की दिशा में बड़ा परिवर्तन माना जा रहा है।

SSC परीक्षा में निष्पक्षता और पारदर्शिता की राह पर आगे बढ़ता भारत

आयोग ने यह साफ कर दिया है कि किसी भी उम्मीदवार को अनुचित लाभ नहीं दिया जाएगा, चाहे वह किसी भी राज्य से क्यों न आया हो। परीक्षा केंद्रों पर CCTV निगरानी, चेहरा पहचान तकनीक और लाइव रिपोर्टिंग जैसे उपायों से परीक्षा प्रक्रिया को निष्पक्ष बनाया जा रहा है। इससे अभ्यर्थियों में भरोसा भी बढ़ा है कि मेहनत करने वालों को ही सफलता मिलेगी। अब ज़रूरत है कि उम्मीदवार परीक्षा स्थल चुनते समय सुविधा और निष्पक्षता दोनों को ध्यान में रखें ताकि भविष्य में किसी गलतफहमी या अनुचित संदेह की गुंजाइश न रहे।

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