विश्व छात्र दिवस 2025: डॉ. कलाम की सोच से सीखिए असफलता को सफलता में बदलने का मंत्र
15 अक्टूबर को विश्व छात्र दिवस डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती पर मनाया जाता है। यह दिन शिक्षा, नवाचार और युवाओं को प्रेरित करने का प्रतीक है। जानिए इस दिन का इतिहास, महत्व, 2025 की थीम और डॉ. कलाम के प्रेरणादायक विचार।

हर साल 15 अक्टूबर को भारत और दुनिया के कई देशों में विश्व छात्र दिवस (World Students Day) मनाया जाता है। यह दिन सिर्फ एक कैलेंडर की तारीख नहीं, बल्कि प्रेरणा, शिक्षा और नवाचार की भावना को समर्पित है। इस दिन का संबंध सीधे भारत के “मिसाइल मैन” और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से है, जिनकी जयंती इसी दिन पड़ती है। विज्ञान, शिक्षा और युवाओं के प्रति उनके योगदान को सम्मान देने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। 2025 में भी यह दिन विद्यार्थियों को याद दिलाएगा कि असफलता अंत नहीं, बल्कि सीखने की शुरुआत है। आइए जानते हैं इस दिन का इतिहास, महत्व, और डॉ. कलाम की प्रेरणादायक जीवन कहानी जो हर छात्र को सफलता की ओर ले जाती है।
क्यों मनाया जाता है विश्व छात्र दिवस और इसका वास्तविक उद्देश्य
विश्व छात्र दिवस मनाने का मूल उद्देश्य केवल किसी महान व्यक्ति को याद करना नहीं, बल्कि शिक्षा के समान अवसरों को बढ़ावा देना और छात्रों में नवाचार की भावना जगाना है। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का मानना था कि “हर छात्र के भीतर एक छिपा हुआ वैज्ञानिक, नेता और सृजनकर्ता होता है।” इसी विचार के सम्मान में संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2010 में 15 अक्टूबर को विश्व छात्र दिवस घोषित किया। यह दिन युवाओं को यह समझाने का माध्यम है कि सफलता का रास्ता मेहनत, जिज्ञासा और आत्मविश्वास से होकर जाता है। शिक्षा ही वह दीपक है जो अंधकार मिटाकर हर व्यक्ति को अपने सपनों तक पहुंचा सकती है।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम: एक साधारण बालक से ‘भारत रत्न’ बनने तक का सफर
15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में जन्मे अबुल पक़ीर जैनुलआबेदीन अब्दुल कलाम का बचपन आर्थिक रूप से संघर्षमय था। पिता नाव चलाते थे और मां गृहिणी थीं, परंतु कलाम के सपने समुद्र से भी गहरे और आसमान से भी ऊंचे थे। उन्होंने श्वार्ट्ज हायर सेकेंडरी स्कूल से पढ़ाई की और फिर सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली से फिजिक्स में डिग्री हासिल की। इसके बाद मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने भारत के पहले सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV) और मिसाइल कार्यक्रमों “अग्नि” और “पृथ्वी” को सफल बनाकर देश को गर्वित किया।
डॉ. कलाम का योगदान और छात्रों के लिए उनका संदेश
डॉ. कलाम सिर्फ वैज्ञानिक नहीं थे, बल्कि हर छात्र के मन के शिक्षक थे। उन्होंने कहा था — “सपना वो नहीं जो आप सोते समय देखते हैं, सपना वो है जो आपको सोने नहीं देता।”
उनकी कार्यशैली सादगी और अनुशासन से भरी थी। राष्ट्रपति बनने के बाद भी उन्होंने खुद को “टीचर” कहलाना ज्यादा पसंद किया। वे मानते थे कि शिक्षा का लक्ष्य केवल नौकरी पाना नहीं, बल्कि समाज को बेहतर बनाना होना चाहिए। उनके अनुसार हर विद्यार्थी को अपने भीतर की शक्ति पहचाननी चाहिए और राष्ट्र निर्माण में योगदान देना चाहिए।
विश्व छात्र दिवस का इतिहास और शुरुआत
विश्व छात्र दिवस की शुरुआत वर्ष 2010 में हुई थी जब संयुक्त राष्ट्र ने डॉ. कलाम की 79वीं जयंती पर इस दिन को “World Students Day” घोषित किया। इसका उद्देश्य था — शिक्षा और इनोवेशन को बढ़ावा देना तथा यह संदेश देना कि “हर बच्चा भविष्य का नेता है।”
इस दिन भारत समेत कई देशों में स्कूलों, कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज़ में विशेष कार्यक्रम, भाषण, विज्ञान प्रदर्शनियां और क्विज़ आयोजित किए जाते हैं। यह दिन छात्रों को यह याद दिलाता है कि उनकी सोच, प्रयास और सृजनशीलता ही आने वाले कल की दिशा तय करेगी।
विश्व छात्र दिवस 2025 की थीम क्या है?
हालांकि विश्व छात्र दिवस 2025 की थीम आधिकारिक रूप से घोषित नहीं हुई है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि यह “Innovation Through Knowledge and Compassion” जैसी प्रेरणादायक दिशा में होगी। पिछले वर्षों की थीम्स ने भी युवाओं को दिशा दी —
- 2023: “असफलता: सीखने का पहला प्रयास”
- 2024: “Empowering Students as Agents of Innovation and Change”
इन थीम्स का सार यही है कि छात्रों को चुनौतियों से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उन्हें अवसर में बदलना चाहिए।
डॉ. कलाम के प्रेरणादायक विचार जो हर छात्र को आगे बढ़ने की ताकत देते हैं
- “अगर आप सूर्य की तरह चमकना चाहते हैं, तो पहले सूर्य की तरह जलना सीखिए।”
- “आत्मविश्वास और मेहनत से कोई भी सपना असंभव नहीं।”
- “छोटे सपने देखना अपराध है, क्योंकि छोटे सपनों में ताकत नहीं होती।”
- “महान सपने देखने वालों के महान सपने हमेशा पूरे होते हैं।”
इन वचनों से हम सीखते हैं कि जीवन में सफलता पाने के लिए केवल डिग्री नहीं, बल्कि दृढ़ निश्चय और निरंतर प्रयास चाहिए।
विश्व छात्र दिवस 2025 हमें यह सिखाता है कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं, बल्कि जीवन की सबसे बड़ी शक्ति है। डॉ. कलाम का जीवन इस बात का प्रमाण है कि एक छात्र अपने विचारों और कर्मों से पूरी दुनिया बदल सकता है।
आज का दिन हर छात्र को यह वचन देने का अवसर देता है — “मैं सीखूंगा, आगे बढ़ूंगा और समाज के लिए कुछ अच्छा कर दिखाऊंगा।”
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