UPSC की तैयारी में जब बात मुख्य परीक्षा की होती है, तो अधिकतर उम्मीदवार सामान्य अध्ययन, वैकल्पिक विषय और निबंध पर पूरा ध्यान केंद्रित करते हैं। कोचिंग संस्थानों, ऑनलाइन गाइड्स और टॉपर इंटरव्यूज में इन्हीं पर चर्चा होती है। लेकिन एक ऐसी बाधा भी है जो चुपचाप हजारों उम्मीदवारों को हर साल बाहर कर देती है — अनिवार्य भाषा प्रश्नपत्र, यानी पेपर A (भारतीय भाषा) और पेपर B (अंग्रेज़ी)। ये पेपर भले ही केवल “क्वालिफाइंग” हों, लेकिन इनका प्रभाव निर्णायक होता है।
भाषा पेपर: छिपे हुए गेटकीपर
भाषा के ये दोनों पेपर मुख्य परीक्षा का हिस्सा होते हैं, लेकिन इनका मूल्यांकन केवल यह तय करने के लिए होता है कि उम्मीदवार परीक्षा में बैठने लायक है या नहीं। UPSC की भाषा में कहें तो ये qualifying papers हैं। लेकिन, यहीं एक बहुत बड़ी बात छिपी होती है — यदि कोई उम्मीदवार इन पेपरों में न्यूनतम 75 अंक नहीं प्राप्त करता है, तो उसके GS, निबंध और वैकल्पिक विषयों की उत्तर पुस्तिकाएँ जांची ही नहीं जातीं। यानी चाहे आपने बाकी सब कुछ शानदार लिखा हो, अगर आप भाषा पेपर में चूक गए, तो आपकी मेहनत बेकार चली जाएगी।
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क्यों फेल होते हैं उम्मीदवार?
यह सवाल बार-बार पूछा जाता है — जब ये पेपर दसवीं कक्षा के स्तर के माने जाते हैं, तो फिर हजारों उम्मीदवार हर साल इसमें फेल क्यों होते हैं?
इसका जवाब सीधा है — लापरवाही और गलतफहमी।
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- बहुत से उम्मीदवार सोचते हैं कि यह केवल एक औपचारिकता है और बिना तैयारी के ही पार हो जाएगा।
- कुछ सोचते हैं कि “मुझे हिंदी या अंग्रेज़ी बोलनी आती है, तो लिखना भी आसान होगा”।
- और कुछ इसे “स्कूल जैसा पेपर” समझकर नजरअंदाज कर देते हैं।
पर UPSC की मूल्यांकन प्रणाली ऐसी नहीं है। भाषा की परीक्षा में शुद्धता, स्पष्टता, व्याकरण और औपचारिक लेखन शैली पर ध्यान दिया जाता है। यही वजह है कि कई मेधावी छात्र भी इसमें फेल हो जाते हैं।
भाषा पेपर की संरचना: जानना जरूरी है
पेपर A में अभ्यर्थी को संविधान की आठवीं अनुसूची में से कोई एक भाषा चुननी होती है (जैसे हिंदी, तमिल, उर्दू आदि)। पेपर B सभी के लिए अनिवार्य अंग्रेज़ी का होता है। दोनों पेपर 300 अंकों के होते हैं और इनमें पास होने के लिए कम से कम 75 अंक चाहिए।
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दोनों पेपरों में निम्नलिखित खंड होते हैं:
- गद्यांश की समझ और संक्षेपण
- निबंध लेखन (लगभग 600 शब्द)
- शब्द प्रयोग, व्याकरण और शब्दावली
- अनुवाद – भारतीय भाषा ↔ अंग्रेज़ी
संरचना लगभग समान होते हुए भी, भाषा की प्रकृति के कारण कठिनाइयाँ बदलती हैं। अंग्रेज़ी माध्यम के छात्रों को भारतीय भाषा में अनुवाद और व्याकरण चुनौतीपूर्ण लगता है, जबकि ग्रामीण या गैर-अंग्रेज़ी पृष्ठभूमि के छात्रों को अंग्रेज़ी के पेपर में कठिनाई होती है।
तैयारी की रणनीति: केवल रटना नहीं, समझना जरूरी है
1. नियमित अभ्यास करें
हर हफ्ते कम से कम एक निबंध और एक संक्षेपण लिखने की आदत डालें। खासकर सरकारी मुद्दों, प्रशासनिक विषयों और सामाजिक चुनौतियों पर।
2. अनुवाद का अभ्यास करें
हर दिन एक पैराग्राफ अंग्रेज़ी से चुनी हुई भाषा में और एक पैराग्राफ भारतीय भाषा से अंग्रेज़ी में अनुवाद करें। PIB, DD News या सरकारी प्रेस विज्ञप्तियों का उपयोग करें।
3. व्याकरण दोहराएं
9वीं-10वीं की NCERT किताबों से व्याकरण को फिर से पढ़ें। विशेष ध्यान दें: वाक्य संशोधन, मुहावरे, पर्यायवाची-विलोम, काल, वाच्य, Direct-Indirect Speech आदि।
4. हैंडराइटिंग और समय प्रबंधन
अच्छी हैंडराइटिंग और समय के अंदर उत्तर लिखना भी जरूरी है। कई उम्मीदवार स्पष्ट लिखावट न होने के कारण भी नुकसान उठाते हैं।
मिथक बनाम सच्चाई
मिथक: यह तो क्वालिफाइंग पेपर है, तैयारी क्यों करें?
सच्चाई: हर साल हजारों छात्र इसी गलतफहमी के कारण असफल होते हैं।
मिथक: बोलने में अच्छा हूँ, तो लिखना आसान होगा।
सच्चाई: परीक्षा में औपचारिक लेखन, व्याकरण और स्पष्टता देखी जाती है — सिर्फ धाराप्रवाह बोलना काफी नहीं।
मिथक: यह तो स्कूल जैसा पेपर है।
सच्चाई: मूल्यांकन गंभीरता से होता है। गलती की कोई गुंजाइश नहीं।
UPSC की चेतावनी: नज़रअंदाज नहीं कर सकते
UPSC ने स्पष्ट रूप से कहा है कि पेपर A और B का स्तर मैट्रिकुलेशन (10वीं) के बराबर होगा, लेकिन केवल वही उम्मीदवार मुख्य परीक्षा के मेरिट पेपर्स (GS, निबंध, वैकल्पिक विषय) के लिए पात्र होंगे जो इन भाषा प्रश्नपत्रों को पास करते हैं।
दूसरे शब्दों में — ये पेपर आपकी प्रवेश द्वार की चाबी हैं। बिना इन्हें खोले, आप अंदर नहीं जा सकते, चाहे बाकी तैयारी कितनी भी बेहतर क्यों न हो।
गंभीरता से लें, सफलता पक्की करें
भाषा के ये क्वालिफाइंग पेपर छोटे दिखते हैं, लेकिन UPSC की पूरी प्रणाली में इनकी भूमिका आधारभूत है। यह दरवाजा है, जिसे पार किए बिना आगे की राह बंद हो जाती है। इनकी तैयारी को आखिरी मिनट पर न छोड़ें। इन्हें मुख्य परीक्षा का उतना ही अहम हिस्सा मानें जितना GS या वैकल्पिक विषयों को।
UPSC की भाषा परीक्षा सिर्फ परीक्षा नहीं है, यह आपकी संप्रेषण शक्ति, स्पष्टता, और अभिव्यक्ति की कसौटी है — जो एक अच्छे प्रशासनिक अधिकारी की मूल योग्यता होती है।
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