ITI या पॉलिटेक्निक – 10वीं के बाद कौन कोर्स देगा जल्दी नौकरी? जानिए दोनों में क्या है फर्क और फायदा

ITI या पॉलिटेक्निक – 10वीं के बाद कौन कोर्स देगा जल्दी नौकरी? जानिए दोनों में क्या है फर्क और फायदा

10वीं के बाद करियर का रास्ता चुनना हर छात्र के लिए एक बड़ा निर्णय होता है, खासकर जब बात तकनीकी क्षेत्र में जल्दी नौकरी पाने की हो। ऐसे में ITI (Industrial Training Institute) और पॉलिटेक्निक दो बेहद चर्चित विकल्प होते हैं, लेकिन अक्सर छात्र और अभिभावक यह तय नहीं कर पाते कि किस कोर्स से बेहतर करियर की शुरुआत होगी।

दोनों ही संस्थान तकनीकी शिक्षा पर फोकस करते हैं, लेकिन इनके कोर्स की अवधि, ट्रेनिंग का स्तर, इंडस्ट्री में मांग और जॉब के मौके काफी हद तक अलग होते हैं। ITI जहां फिटर, इलेक्ट्रीशियन, वेल्डर जैसे ट्रेड्स में शॉर्ट टर्म ट्रेनिंग देकर जल्दी रोजगार दिलाने पर जोर देता है, वहीं पॉलिटेक्निक इंजीनियरिंग डिप्लोमा के जरिए थोड़ा विस्तृत और गहराई से तकनीकी ज्ञान प्रदान करता है।

अगर आप भी कंफ्यूज़ हैं कि कौन-सा रास्ता आपके लिए सही रहेगा और कौन देगा जल्दी नौकरी, तो आगे दी गई तुलना आपके सभी सवालों का जवाब देगी।

ITI (औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान)

उद्देश्य और फोकस: ITI का मुख्य उद्देश्य छात्रों को विशिष्ट व्यावहारिक कौशल प्रदान करना है ताकि वे सीधे उद्योगों में काम कर सकें। यहां ‘करो और सीखो’ (Learn by doing) पर अधिक जोर दिया जाता है।

अवधि: ITI कोर्स की अवधि आमतौर पर 6 महीने से 2 साल तक होती है। इसमें इलेक्ट्रीशियन, फिटर, वेल्डर, मैकेनिक, प्लंबर, कंप्यूटर ऑपरेटर एंड प्रोग्रामिंग असिस्टेंट (COPA) जैसे विभिन्न ट्रेड शामिल होते हैं।

शैक्षणिक योग्यता: अधिकतर ITI कोर्स के लिए 10वीं पास होना ज़रूरी है, कुछ के लिए 8वीं पास भी पर्याप्त होता है।

नौकरी के अवसर:

  • जल्दी नौकरी: ITI कोर्स कम अवधि के होते हैं और सीधे तौर पर किसी विशेष कौशल पर केंद्रित होते हैं। इसलिए, इनके पूरा होते ही छात्रों को तुरंत रोजगार मिलने की संभावना अधिक होती है, खासकर निर्माण, विनिर्माण, ऑटोमोटिव और रखरखाव जैसे क्षेत्रों में।
  • भूमिका: ITI ग्रेजुएट्स आमतौर पर टेक्नीशियन, कारीगर या कुशल श्रमिक के रूप में काम करते हैं।
  • वेतन: शुरुआत में वेतन अपेक्षाकृत कम हो सकता है, लेकिन अनुभव के साथ इसमें वृद्धि होती है।

पॉलिटेक्निक (डिप्लोमा)

उद्देश्य और फोकस: पॉलिटेक्निक का उद्देश्य छात्रों को इंजीनियरिंग के व्यापक सिद्धांतों और व्यावहारिक अनुप्रयोगों का ज्ञान देना है। यह इंजीनियरिंग डिग्री (B.Tech/B.E.) का एक निचला स्तर है, जो छात्रों को मध्य-स्तर के तकनीकी पदों के लिए तैयार करता है।

अवधि: पॉलिटेक्निक डिप्लोमा कोर्स की अवधि आमतौर पर 3 साल होती है। इसमें सिविल इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग जैसे प्रमुख इंजीनियरिंग विषयों में डिप्लोमा प्रदान किए जाते हैं।

शैक्षणिक योग्यता: पॉलिटेक्निक के लिए आमतौर पर 10वीं पास होना ज़रूरी है, जिसमें गणित और विज्ञान के अच्छे अंक महत्वपूर्ण होते हैं।

नौकरी के अवसर:

  • मध्य-स्तर की भूमिकाएं: पॉलिटेक्निक ग्रेजुएट्स को अक्सर जूनियर इंजीनियर, सुपरवाइजर, ड्राफ्ट्समैन या विभिन्न उद्योगों में तकनीकी सहायक के रूप में नौकरी मिलती है।
  • करियर ग्रोथ: ITI की तुलना में पॉलिटेक्निक करने वालों के पास करियर में आगे बढ़ने के अवसर अधिक होते हैं। वे अनुभव के साथ वरिष्ठ पदों तक पहुंच सकते हैं और कई बार लेटरल एंट्री के माध्यम से सीधे बी.टेक के दूसरे वर्ष में भी प्रवेश ले सकते हैं।
  • वेतन: शुरुआत में ITI ग्रेजुएट्स की तुलना में इनका वेतन अधिक होता है, क्योंकि उनके पास अधिक सैद्धांतिक और विश्लेषणात्मक ज्ञान होता है।

कौन देगा जल्दी नौकरी?

अगर आपका लक्ष्य कम समय में सीधे रोजगार प्राप्त करना है, तो ITI एक बेहतर विकल्प हो सकता है। इसके कोर्स छोटे होते हैं और विशिष्ट कौशल पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जिससे आप जल्दी प्रशिक्षित होकर काम शुरू कर सकते हैं।

हालांकि, अगर आप लंबे समय तक करियर ग्रोथ, उच्च वेतन और इंजीनियरिंग क्षेत्र में आगे की पढ़ाई का लक्ष्य रखते हैं, तो पॉलिटेक्निक आपके लिए बेहतर साबित होगा। इसमें थोड़ा अधिक समय और निवेश लगता है, लेकिन यह आपको अधिक व्यापक अवसर प्रदान करता है।

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