विजयदशमी (दशहरा)
विजयदशमी, जिसे दशहरा भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का प्रमुख पर्व है। यह दिन अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक माना जाता है। परंपरा के अनुसार इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर अधर्म का अंत किया था। वहीं, माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध कर शक्ति और धर्म की रक्षा की थी। 2025 में विजयदशमी का पर्व 4 अक्टूबर (शनिवार) को मनाया जाएगा। इस दिन देशभर में रावण दहन, मेले और शोभायात्राएं आयोजित होती हैं। लोग परिवार के साथ मेले देखने जाते हैं और आतिशबाजी का आनंद लेते हैं। दुर्गा पूजा की समाप्ति भी इसी दिन होती है। यह पर्व हमें सिखाता है कि कितना भी बड़ा अन्याय हो, अंततः सत्य और धर्म की जीत निश्चित होती है। विजयदशमी सिर्फ धार्मिक उत्सव नहीं बल्कि न्याय, धर्म और नैतिकता का प्रेरक संदेश भी देती है।
विजयदशमी का महत्व
दशहरा का अर्थ है दस सिर वाले रावण का अंत। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत और अधर्म पर धर्म की स्थापना का प्रतीक है।
प्रमुख परंपराएं
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रावण दहन: शाम को रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले जलाए जाते हैं।
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दुर्गा विसर्जन: दुर्गा पूजा का समापन और प्रतिमाओं का विसर्जन।
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रामलीला: कई स्थानों पर भगवान राम की लीलाओं का मंचन होता है।
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शस्त्र पूजा: परंपरागत रूप से इस दिन शस्त्रों की पूजा भी की जाती है।
क्षेत्रीय महत्व
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उत्तर भारत: रावण दहन और रामलीला की धूम।
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पश्चिम बंगाल: दुर्गा पूजा विसर्जन।
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दक्षिण भारत: देवी सरस्वती और शस्त्र पूजन।
विजयदशमी की सीख
यह पर्व हमें सिखाता है कि चाहे अंधकार कितना भी गहरा क्यों न हो, अंततः सत्य, धर्म और प्रकाश की ही जीत होती है।
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